स्त्री-पुरुष संबंधों पर लिखी अर्पण कुमार की कविताएँ स्त्री-पुरुष संबंधों पर लिखी अर्पण कुमार की कविताएँ
उसने जमीन में मन्नतो के बीज बोये , दुआ की "वो लौट आए" मन्दिर में देवता को मनाया। उसने जमीन में मन्नतो के बीज बोये , दुआ की "वो लौट आए" मन्दिर में देवता को ...
फागुन के रंग में रंग जाओ, इस बरस तुम आओ मेरे अँगना। फागुन के रंग में रंग जाओ, इस बरस तुम आओ मेरे अँगना।
जब से छोड़ा शरीर ने साथ निभाना मेरा सांवरा सैंया बनाए प्यार से खाना, जब से छोड़ा शरीर ने साथ निभाना मेरा सांवरा सैंया बनाए प्यार से खाना,
औरत अपने अस्तित्व, की तलाश में, खोजती रहती है, कुछ अनजाने पथ। औरत अपने अस्तित्व, की तलाश में, खोजती रहती है, कुछ अनजाने पथ।
सारा देश इक-जुट हो तब होता है खड़ा हर बहू - बेटी के मान की ख़ातिर , बस बातों मे , ब सारा देश इक-जुट हो तब होता है खड़ा हर बहू - बेटी के मान की ख़ातिर , बस ब...